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Tiger Reserve in MP: जंगलों का संपर्क बाघों की बढ़ती जनसंख्या को कर सकता है प्रभावित, टूट रहा कारिडोर – MP Tiger Reserve Fragmented connectivity of forests can lead to increasing tiger population IN MP breaking corridor

मध्य प्रदेश में अब बाघों की संख्या 785 हो गई है और टाइगर रिजर्वों के बाघों की संख्या का आंकड़ा भी बदल गया है। मध्य भारत के जंगलों का विखंडित होता संपर्क बाघों की बढ़ती जनसंख्या को प्रभावित कर सकता है।

द्वारा संजयकुमार शर्मा

प्रकाशित तिथि:

शुक्र, 12 अप्रैल 2024 11:27 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक:

शुक्र, 12 अप्रैल 2024 10:56 अपराह्न (IST)

जंगलों का संपर्क बाघों की बढ़ती जनसंख्या को कर सकता है प्रभावित

पर प्रकाश डाला गया

  1. मध्य प्रदेश में अब बाघों की संख्या 785, 14 संरक्षित क्षेत्र
  2. जंगलों का संपर्क बाघों की बढ़ती जनसंख्या को कर सकता है प्रभावित
  3. भारतीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट कर रहे चिंतन

संजय कुमार शर्मा, नईदुनिया, उमरिया : मध्य भारत के जंगलों का विखंडित होता संपर्क बाघों की बढ़ती जनसंख्या को प्रभावित कर सकता है। इसे लेकर भारतीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट चिंतन कर रहे हैं। इस संदर्भ में मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व से जानकारियां लगातार मांगी जा रही हैं। पिछले दिनों एनटीसीए के अधिकारियों का एक दल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भी पहुंचा और लगातार क्षतिग्रस्त हो रहे कारिडोर को लेकर विस्तार से चर्चा की।

इतना क्षेत्र प्रभावित

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में फैले मध्य भारतीय परिदृश्य में 14 संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं। संरक्षित क्षेत्र लगभग एक लाख 52 हजार वर्ग किलोमीटर का है। यहां वनस्पतियों और जीवों की न केवल एक विस्तृत शृंखला है, बल्कि यहां महत्वपूर्ण नदियों के स्रोत भी हैं। इसके बावजूद इन जंगलों और यहां के बाघों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह क्षेत्र पारिस्थितिकी और सामाजिक रूप से असुरक्षित होता जा रहा है।

यह है कारण

मध्य भारत के जंगलों के विखंडित होते संपर्क के कई कारण हैं। जंगल में वन्य-जीवों के मार्ग में स्थानीय आबादी, मूल्यवान कोयला और खनिज भंडार के खनन, सड़क, रेलवे निर्माण और जलाशय निर्माण सहित कई विकास परियोजनाओं से जंगल और बाघों को खतरे में बताया गया है। एक बड़ा खतरा वामपंथी उग्रवाद भी है। इसके निदान के लिए तत्काल निदान जरूरी बताया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ में घटे बाघ

पिछले साल जारी स्टेटस आफ टाइगर्स को-प्रिडेटर एंड प्रे इन इंडिया 2022 में छत्तीसगढ़ में बाघों की घटती संख्या पर चिंतन किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि खनन और वामपंथी उग्रवाद के कारण छत्तीसगढ़ में बाघों की आबादी में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।

ऐसा किया जाना जरूरी

रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि अगर छत्तीसगढ़ के गुरु-घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की आबादी को उच्च स्तर पर ले जाना है तो उनके लिए शिकार का पूरक स्थानांतरण-संरक्षण व्यवस्था में सुधार आवश्यक है। छत्तीसगढ़ में बाघों का दीर्घकालिक अस्तित्व के लिए संरक्षण और पुनर्स्थापन के उद्देश्य से किए गए प्रयास, जैसे शिकार पूरकता, बढ़ी हुई सुरक्षा उपाय, और वामपंथी उग्रवाद से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान जरूरी हैं।

रिपोर्ट में चिंतन के साथ यह संभावना भी व्यक्त की गई है कि यह एक बाघ अभयारण्य है जो मध्य प्रदेश के संजय-धुबरी टाइगर रिजर्व से सटा हुआ है और इसमें बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बिखरे हुए बाघ प्राप्त करने की क्षमता है।

मध्य प्रदेश में 785 बाघ

मध्य प्रदेश में अब बाघों की संख्या 785 हो गई है और टाइगर रिजर्वों के बाघों की संख्या का आंकड़ा भी बदल गया है। बांधवगढ़ में 165, कान्हा टाइगर रिजर्व में 129, पन्ना टाइगर रिजर्व में 64, पेंच टाइगर रिजर्व में 123, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 62 और संजय धुबरी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 20 हो गई है।

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