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Mahakal Temple : ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में सोमयज्ञ की तैयारी, 4 मई से होगा आयोजन – Mahakal Temple Somayagya organized in Jyotirlinga Mahakal temple from 4th May

ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार यज्ञ मीमांसा और याग्निक ग्रंथों की मान्यता के अनुसार देखें तो अलग-अलग प्रकार के यज्ञों की व्यवस्था त्रेता व द्वापर युग में बताई गई है।

द्वारा Hemant Kumar Upadhyay

प्रकाशित तिथि:

शुक्र, 19 अप्रैल 2024 10:26 पूर्वाह्न (IST)

अद्यतन दिनांक:

शुक्र, 19 अप्रैल 2024 10:26 पूर्वाह्न (IST)

पर प्रकाश डाला गया

  1. 4 से 9 मई तक परिसर में जलस्तंभ के समीप होगा आयोजन
  2. महाआयोजन को लेकर तैयारी शुरू हो गई है।
  3. यज्ञ में स्थानीय विद्वान भी शामिल होंगे।

नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 4 से 9 मई तक सोमयज्ञ होगा। महाआयोजन को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। सूत्र बताते हैं मंदिर परिसर में लगे जलस्तंभ के समीप पांच हवन कुंड बनाए जाएंगे। दक्षिण भारत के यज्ञाचार्य के सानिध्य में सात दिन तक शिव की प्रसन्नता के लिए हवन सामग्री में विशेष औषधियां मिश्रित कर आहुति दी जाएगी।

यज्ञ में स्थानीय विद्वान भी शामिल होंगे। कहा जा रहा है कि यज्ञ 5000 साल पुरानी यज्ञ परंपरा से होगा। इस दौरान संघ प्रमुख सहित विशिष्ट अतिथियों के आने की भी संभावना है। हालांकि मंदिर के अधिकारी मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार यज्ञ मीमांसा और याग्निक ग्रंथों की मान्यता के अनुसार देखें तो अलग-अलग प्रकार के यज्ञों की व्यवस्था त्रेता व द्वापर युग में बताई गई है। सतयुग में सत्य ही धर्म और व्रत और यज्ञ हुआ करता था। इसलिए धर्मशास्त्र में त्रेता, द्वापर, और कलयुग यज्ञ आदि के लिए विशेष माने जाते हैं।

हालांकि धर्म शास्त्र में कहीं-कहीं कलयुग के संदर्भ में भी यज्ञ की बात प्रासंगिक नहीं कही गई है। किंतु फिर भी परंपरा अनुसार धर्मप्राण जनता यज्ञ आदि कार्य संपादित करती ही है। सोमयज्ञ के लिए अलग-अलग प्रकार के संकल्प भेद से इस कार्य को करने की परंपरा है। धन, पद, संतान, उत्तम वृष्टि, उत्तम जल, अनुकूलता आदि के संबंध में सोमयज्ञ की बात लिखी हुई है।

यज्ञशाला की बजाय परिसर में होगा आयोजन

महाकाल मंदिर में यज्ञ आदि अनुष्ठान कराने के लिए जूना महाकाल मंदिर परिसर में विशाल यज्ञशाला का निर्माण किया गया है। सोमयज्ञ के लिए यज्ञशाला की बजाय परिसर स्थित जलस्तंभ के समीप स्थान का चयन किया गया है। बताया जाता है हवन कुंड बनाने के लिए पुरातत्व विभाग से यहां रखे शिव मंदिर के अवशेष व मूर्तियों को व्यवस्थित करने को कहा गया है। इस दिशा में काम भी शुरू हो गया है।

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